UP : मारीशस साहित्यकार रामदेव धुरंधर के पूर्वजों का गांव गंगौली बलिया…
बलिया। मारीशस में जन्मे हिंदी गद्य साहित्य के मुर्धन्य, उपान्यासकार, कथाकार एवं नाट्यकार रामदेव धुरंधर जिनके पूर्वज अठारहवीं सदी में गिरमिटिया मजदूर के रूप में भारत से मारीशस चले गये, जहाँ उन्होंने जीवन के अनेक संघर्ष को झेलते हुए न सिर्फ अपने पसीने के दम पर गन्ने के खेतों में जमकर काम किया बल्कि कठिन यातानाएं झेलते हुए स्वयं को शिक्षा, कला, साहित्य, राजनीति के क्षेत्र में पुर्नस्थापित किया। आज इन भारतीय पूर्वज के बंशज मारीशस देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य भी कर रहे है। धुरंधर जी, जब अपने पूर्वजों के द्वारा प्राप्त सम्बंधित दस्तावेजों को खंगालते हुए फोन पर बताते है कि कागज़ मेरे हाथ में है, उस पर मेरे दादा जी का भारतीय परिचय कुछ ऐसे लिखा है…
जिला गाजीपुर, परगना बलिया, का गांव गंगौली है। इसे सुनकर मेरा मन अत्यंत प्रसन्न हो जाता है, क्योंकि मुझे ज्ञात है कि जनपद बलिया 1879 से पूर्व जनपद गाजीपुर का ही हिस्सा था, जो यह दस्तावेज भी कहता है। हिंदी गद्य साहित्य के इस पुरोधा के पूर्वजों का मूल गांव बलिया से है। उस बलिया में है, जो महान साहित्यकार डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य परशुराम चतुर्वेदी एवं आधुनिक हिंदी साहित्यकार डा. केदारनाथ सिंह जी की जन्मस्थली रही है। स्थान (गंगौली) बॉसडीह तहसील का उपगांव गंगौली तो नही है, बल्कि यह वह प्राचीनतम गांव गंगौली है, जो रामगढ़ बंधे के बगल में गंगा के किनारे बसा गांव गंगौली है, जो अब अस्तित्व में नही है और गंगा में विलीन हो गया है। मुझे मेरे मित्र और जनपद बलिया के प्रतिष्ठित विद्यालय सनबीम स्कूल के डायरेक्टर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सरकारी दास्तावेजों में आज भी गंगौली दर्ज है।