UP : न्यायिक अभिरक्षा में हुई मौत को परिजन नहीं स्वीकार कर रहे आत्महत्या की बात


मझौवां।
राजकीय संप्रेक्षण गृह मऊ में निरुद्ध किशोर अपचारी शुभम सिंह की न्यायिक अभिरक्षा में हुई मृत्यु के लगभग दो माह बाद भी परिजन आत्महत्या करने की बात स्वीकार नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्हे आशंका है कि मेरे बेटे ने आत्महत्या नहीं की है उसकी हत्या कर दी गई है। जिसकी जांच करने के लिए पुलिस अधिक्षक से लेकर न्यायधीश मऊ, बलिया, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, राज्यपाल यूपी राष्ट्रीय मानवाधिकार लखनऊ, दिल्ली व सर्वाेच्च न्यायालय दिल्ली तक गुहार लगाई है, लेकिन इस पर किसी ने भी अभी तक ध्यान नहीं दिया है। मृतक शुभम सिंह की माँ रमा देवी ने बताया कि 22 मई 22 को रात 9 बजे हम लोगों की बातचीत हुई थी और वो ठीक था। दूसरे दिन सुबह खबर मिली कि उसने आत्महत्या कर ली है। जो कि गले नहीं उतर रही है। बताते चले कि ग्राम सभा मझौवां निवासी एक व्यक्ति ने 6 अक्तूबर 21 को हल्दी थाने में मुकदमा दर्ज कराया कि दोपहर में मेरी बेटी आँगन में नहा रही थी कि हाथ में चाकू लेकर घूस गया और छेड़खानी करने लगा। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी देने लगा, उस समय घर में वो अकेली थी, उसके चिल्लाने पर जब तक पड़ोस के लोग आये शुभम सिंह भाग निकला। हल्दी पुलिस ने 7 अक्तूबर 21 को धारा 354, 452, 506, 7, 8 के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय भेज दिया। जहो से न्यायालय ने संप्रेक्षण गृह मऊ भेज दिया गया था। इसके पूर्व मृतक के पिता अशोक सिंह ने भी न्यायिक हिरासत में हुई मौत को आत्महत्या नहीं हत्या मान रहे हैं और पुनः जाच करने के लिए हर संभव प्रयास कर चुके हैं लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। इन लोगों ने उचित जांच करने की माँग की है।

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